बणावली-:
बणावली हरियाणा के हिसार ज़िले में स्थित यहाँ से दो सांस्कृतिक अवस्थाओं के अवषेश मिले हैं।
हड़प्पा पूर्व एवं हड़प्पाकालीन इस स्थल की खुदाई 1973-74 ई. में 'रवीन्द्र सिंह विष्ट' के नेतृत्व में की गयी।
यहाँ से संस्कृति के तीन स्तर प्रकाश में आए हैं।-
प्राक् सैंधव
विकसित सैंधव
उत्तर सैंधव
यहाँ दुर्ग तथा निचला नगर अलग-अलग न होकर एक ही प्राचीर से घिरे थे।
एक मकान से धावन पात्र के साक्ष्य मिले हैं जो किसी धनी सौदागार के आवास की ओर संकेत करता है।
एक दूसरे बड़े मकान से सोने, लजावर्द, कार्नेनियन के मनके, छोटे बटखरे मिले हैं, जिससे यह ज्ञात होता है कि यह किसी जौहरी का मक़ान रहा होगा।
इसके अतिरिक्त मिट्टी के बर्तन, गोलियाँ, मनके, तांबे के बाण्राग, हल की आकृति के खिलौने आदि मिले हैं।
बनवाली में जल निकास प्रणाली का अभाव दिखाई देता है।
बणावली की नगर योजना- शतरंज के बिसात या जाल के आकार की बनायी गयी थी।
सड़कें न तो सीधी मिलती थी न तो एक दूसरे को समकोण पर काटती थी।
बणावली हरियाणा के हिसार ज़िले में स्थित यहाँ से दो सांस्कृतिक अवस्थाओं के अवषेश मिले हैं।
हड़प्पा पूर्व एवं हड़प्पाकालीन इस स्थल की खुदाई 1973-74 ई. में 'रवीन्द्र सिंह विष्ट' के नेतृत्व में की गयी।
यहाँ से संस्कृति के तीन स्तर प्रकाश में आए हैं।-
प्राक् सैंधव
विकसित सैंधव
उत्तर सैंधव
यहाँ दुर्ग तथा निचला नगर अलग-अलग न होकर एक ही प्राचीर से घिरे थे।
एक मकान से धावन पात्र के साक्ष्य मिले हैं जो किसी धनी सौदागार के आवास की ओर संकेत करता है।
एक दूसरे बड़े मकान से सोने, लजावर्द, कार्नेनियन के मनके, छोटे बटखरे मिले हैं, जिससे यह ज्ञात होता है कि यह किसी जौहरी का मक़ान रहा होगा।
इसके अतिरिक्त मिट्टी के बर्तन, गोलियाँ, मनके, तांबे के बाण्राग, हल की आकृति के खिलौने आदि मिले हैं।
बनवाली में जल निकास प्रणाली का अभाव दिखाई देता है।
बणावली की नगर योजना- शतरंज के बिसात या जाल के आकार की बनायी गयी थी।
सड़कें न तो सीधी मिलती थी न तो एक दूसरे को समकोण पर काटती थी।
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