गंगा डॉल्फ़िन (Platanista gangetica) तथा सिंधु नदी डॉल्फ़िन (Platanista gangetica minor) गंगा तथा सिंधु नदी में पाई जाने वाली मीठे पानी की डॉल्फ़िन की दो प्रजातियां हैं। ये भारत, बांग्लादेश, नेपाल तथा पाकिस्तान में पाई जाती हैं
वर्ष 2005 से विश्व प्रकृति निधि और सेवियर्स संस्था ने डॉल्फ़िन को बचाने की मुहिम चलाई है। इसी मुहिम के तहत सरकार ने 5 अक्तूबर, 2009 को डॉल्फ़िन को भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया है।
इन्हें आम तौर पर सुसु कहा जाता है क्योंकि यह सांस लेते समय ऐसी ही आवाज़ निकालती है। गंगा नदी में पाई जाने वाली डॉल्फ़िन भारत की एक महत्वपूर्ण संकटापन्न प्रजाति है और इसलिए इसे वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में शामिल किया गया है। गंगा नदी में पाई जाने वाली गंगा डॉल्फ़िन एक नेत्रहीन जलीय जीव है जिसकी घ्राण शक्ति अत्यंत तीव्र होती है।
बिहार व उत्तर प्रदेश में इसे 'सोंस' जबकि आसामी भाषा में 'जिहू' के नाम से जाना जाता है।
वर्ष 2005 से विश्व प्रकृति निधि और सेवियर्स संस्था ने डॉल्फ़िन को बचाने की मुहिम चलाई है। इसी मुहिम के तहत सरकार ने 5 अक्तूबर, 2009 को डॉल्फ़िन को भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव घोषित किया है।
इन्हें आम तौर पर सुसु कहा जाता है क्योंकि यह सांस लेते समय ऐसी ही आवाज़ निकालती है। गंगा नदी में पाई जाने वाली डॉल्फ़िन भारत की एक महत्वपूर्ण संकटापन्न प्रजाति है और इसलिए इसे वन्य जीवन (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में शामिल किया गया है। गंगा नदी में पाई जाने वाली गंगा डॉल्फ़िन एक नेत्रहीन जलीय जीव है जिसकी घ्राण शक्ति अत्यंत तीव्र होती है।
बिहार व उत्तर प्रदेश में इसे 'सोंस' जबकि आसामी भाषा में 'जिहू' के नाम से जाना जाता है।
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